SCO Summit 2023 – भारत ने किया विरोध

हम सभी जानते है की भारत को sco summit 2023 की अध्यक्षता मिली है और बीते 4 जुलाई को भारत की मेजबानी में इस समूह का शिखर सम्मेलन भी हुआ। इस सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आतंकवाद, अलगाववाद और चरमपंथी समूहों की गतिविधियों का मुकाबला करने तथा धार्मिक असहिष्णुता, आक्रामक राष्ट्रवाद, जातीय भेदभाव एवं नस्लीय भेदभाव आदि के प्रसार को रोकने की अपील की गई।

साथ ही डिजिटल समावेशन, युवा सशक्तिकरण, स्टार्टअप और इनोवेशन जैसे क्षेत्रों पर भी फोकस करने पर सहमति बनी है। इस सम्मेलन के दौरान ईरान ने आधिकारिक तौर पर समूह के सदस्य का दर्जा हासिल कर लिया। इस तरह अब शंघाई सहयोग संगठन में कुल सदस्यों की संख्या नौ हो गई है। इससे पहले ईरान को समूह के परिवेक्षक देश का दर्जा हासिल था, लेकिन इस सम्मेलन में दो बातें अहम हुई जिनकी ज्यादा चर्चा है।

 

  • एक तो यही कि भारत ने फिर से चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना यानी  Belt and Road Initiative  को समर्थन न देने की बात दोहराई है। भारत शंघाई सहयोग संगठन का एकमात्र सदस्य बन गया है जो इस परियोजना का समर्थन नहीं करता है।

 

sco summit 2023

 

  • दूसरी बात यह है कि यह सम्मेलन वर्चुअल यानी ऑनलाइन हुआ जबकि इससे पहले ये नई दिल्ली में प्रस्तावित था। दरअसल, ऐसा कहा जा रहा है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी प्रेसिडेंट व्लादिमीर पुतिन ने भारत आने से इनकार कर दिया।

 

शंघाई सहयोग संगठन क्या हैं 

ये एक राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा संगठन है। इसका मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय सुरक्षा, सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात सैनिकों की संख्या में कमी करना, आतंकवाद, अलगाववाद और चरमपंथ के खिलाफ़ मिलकर लड़ाई लड़ना है। बाद में इसमें आर्थिक सहयोग को भी शामिल किया गया।

असल में शंघाई सहयोग संगठन की बुनियादी नीव 1996 में रखी गई थी । तब इसे शंघाई फाइव कहा जाता था क्योंकि पांच देशों ने मिलकर शंघाई शहर में इसकी नींव रखी थी और यह देश थे चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान। 2001 में उज्बेकिस्तान इसमें शामिल हो गया और फिर इसका नाम पड़ा शंघाई सहयोग संगठन। 2005 से भारत इस का पर्यवेक्षक सदस्य रहा और साल 2017 में भारत और पाकिस्तान इसके स्थाई सदस्य बन गए। अब ईरान समेत कुल नौ देश इसके सदस्य हैं।

 

भारत की अध्यक्षता की थीम – SCO Summit 2023

भारत की अध्यक्षता की थीम थी “Towards a secure SCO”  दरसल, यहाँ  “SECURE”  शब्द में

  • S – सुरक्षा,
  • E – आर्थिक विकास
  • C – कनेक्टिविटी,
  • U – एकता आर संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए सम्मान तथा
  • E – पर्यावरण संरक्षण के संकेतक है।

बैठक के अंत में नई दिल्ली घोषणापत्र जारी हुआ जिसपर सदस्य राष्ट्र ने दस्तखत किये। इस पत्र में आतंकवादी एवं चरमपंथी समूहों से मिलकर लड़ने की प्रतिबद्धता जताई गयी। इन गतिविधियों का मुकाबला करने के लिए आक्रामक राष्ट्रवाद नस्लीय भेदभाव फांसीबाद और अंधराष्ट्रवाद के विचार को रोकने की भी बात की गई।

नेताओं ने दो विषयगत संयुक्त वक्तव्य को अपनाया। पहला अलगाववाद, उग्रवाद और आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले कट्टरपंथ का मुकाबला करना, जबकि दूसरे के तहत डिजिटल परिवर्तन के क्षेत्र में सहयोग के नए स्तंभों पर सहमति बनी। लेकिन बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव पर भारत ने अपनी सहमति नहीं दी।

 

भारत के लिए “SCO Summit 2023” संगठन के विरोध के महत्व

भारत में सदस्य देशों के आर्थिक रणनीति का वक्तव्य में Belt and Road Initiative  का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया। भारत ने घोषणा पत्र के उस हिस्से पर दस्तखत नहीं किए जिसमें इस परियोजना का जिक्र है।

दरअसल Belt and Road  एक मल्टी अरब डॉलर प्रोजेक्ट है, जिसका मकसद दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप को भूमि एवं समुद्री मार्गों के नेटवर्क से जोड़ना है। इसका उद्देश्य दुनिया में बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को शुरू करना है, जो बदले में चीन के वैश्विक प्रभाव को बढ़ाएगा। इस परियोजना में रेलवे, बंदरगाह, राजमार्ग जैसे अन्य बुनियादी ढांचे को अमलीजामा पहनाने की योजना है, जिसमें सहयोग के लिए 100 से ज्यादा देशों ने दस्तखत किए हैं।

लेकिन भारत की ओर से विरोध जताने की वजह है कि यह परियोजना पाकिस्तान के अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरेगी और जिसे भारत अपनी संप्रभुता का उल्लंघन मानता है। चीन – पाक आर्थिक गलियारा इसी  Belt and Road Initiative  परियोजना का हिस्सा है जिसपर भारत लगातार सवाल खड़े करता रहा है।

 

SCO Summit 2023 की बैठक Offline की वजह online क्यों की गई ?

 

दरअसल पहले sco summit 2023 की बैठक नई दिल्ली में कराने की योजना थी, लेकिन जून के शुरू में ही भारत सरकार ने ऐलान किया कि ये बैठक अब वर्चुअल – online होगी। इसके पीछे चर्चा है कि चीन और रूस के राष्ट्रपतियों ने बैठक में आने से इनकार कर दिया, जिसके चलते नई दिल्ली में सम्मेलन की योजना टाल दी गई।

ऐसा कहा गया कि चीन के साथ भारत के सीमा विवाद और यूक्रेन के मामले में खुलकर रूस का साथ ना देने की वजह से भी शी जिनपिंग और पुतिन दिल्ली नहीं आए। इसमें कोई दोराय नहीं कि मौजूदा वक्त में भारत अमेरिका की ओर अपने कदम बढ़ा रहा है।

दूसरी तरफ रूस भारत का ऐतिहासिक मित्र हैं, लेकिन रूस और अमेरिका के बीच बगावत के चलते भारत के सामने दोनों के बीच संतुलन बैठाने की चुनौती है। यूक्रेन मसले पर अमेरिका बार बार भले ही भारत से अपने धब्बे को साफ करने के इशारे करता रहा है, लेकिन रूस ने कभी भी भारत पर इस तरह का दबाव नहीं बनाया है।

वहीं दूसरी तरफ चीन के सीमा विवाद पर भी रूस ने कभी भारत पर दबाव नहीं बनाया। इसलिए यह कहना मुनासिब नहीं होगा कि यूक्रेन संकट और चीन के चलते पुतिन भारत नहीं आए। हालांकि अगर इस तथ्य में थोड़ी भी सच्चाई है तो यह भारत के लिए चिंता पैदा करने वाली बात होगी क्योंकि इसकी वजह है कि रूस भारत का ऐतिहासिक मित्र है और सबसे भरोसेमंद भी।

दूसरी वजह है कि sco summit 2023 में क्षेत्रीय आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद पर चोट करने के लिए भारत शामिल हुआ है। लेकिन अगर रूस, भारत के भरोसे पर खरा नहीं उतरता है तो  इस समूह में भारत के लिए चुनौतियां बढ़ेगी इस संगठन के साथ भारत का जुड़ाव रूसी दबदबे और उसके समर्थन पर ही आधारित है इसलिए रूस का भारत के साथ होना बेहद जरूरी है ।

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